लापता बेटा, एक कहानी और दो परिवार... गाजियाबाद का राजू निकला देहरादून का मोनू, हैरान कर देगी ये दास्तान!

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गाजियाबाद के साहिबाबाद थाना क्षेत्र के शहीद नगर में एक गायब युवक राजू के 30 साल बाद घर वापस लौटने के मामले में हैरतअंगेज मोड़ आ गया है. उसकी कहानी सुनकर गाजियाबाद पुलिस भी हैरान हो रही है. इस मामले की जांच में उलझ गई है. राजू ने खोड़ा थाने में पहुंचकर पुलिस को बताया था कि वो गाजियाबाद का रहने वाला है. 30 साल पहले स्कूल से लौटते समय कुछ लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था. उसकी कहानी पर पुलिस ने यकीन कर लिया और उसे एक रिटायर्ड बिजली कर्मचारी तुलाराम के परिवार को सौंप दिया. लेकिन अब पुलिस को पता चला है कि वो देहरादून में भी ऐसा कर चुका है.

गाजियाबाद पुलिस को सूचना मिली है कि राजू इसी तर्ज पर देहरादून में रहने वाले एक परिवार के साथ उनका खोया बेटा मोनू बनकर रह चुका है. वो जुलाई में देहरादून पुलिस के पास पहुंचा और अपने अपहरण की यही कहानी सुनाई. उसने बताया कि वो देहरादून का रहने वाला है. बचपन में उसका अपहरण कर कुछ लोग राजस्थान लेकर गए. वहां उसे बंधुआ मजदूर के रूप में रखा गया. उससे भेड़ बकरी चराने का काम कराया जाता था. उसकी कहानी को सच मानकर देहरादून के पटेल नगर इलाके में रहने वाली बुजुर्ग आशा देवी ने उसकी पहचान अपने खोए हुए बेटे के रूप में कर ली. वो उनके साथ घर में रहने लगा था.

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देहरादून में कुछ महीने रहकर दिल्ली आया राजू

आशा देवी के पति कपिलदेव शर्मा ने बताया कि घर वापस आने के बाद मोनू अक्सर उनकी बेटी के बच्चों से झगड़ा करता था. उन्हें घर से बाहर निकालने के लिए कहता था. उन्हें हमेशा उसके दावों पर संदेह था, लेकिन अपनी पत्नी की वजह से उसे घर में रहने दिया था. इधर, कुछ महीने शर्मा परिवार के साथ रहने के बाद मोनू अक्टूबर में दिल्ली में काम करने की बात कहकर घर से चला आया. यहां गाजियाबाद पुलिस को राजू बनकर कहानी सुनाने के बाद तुलाराम के घर में रहने लगा. इसी बीच देहरादून पुलिस से मिली सूचना के बाद गाजियाबाद पुलिस राजू को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई है.

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राजू को पूछताछ के लिए ले गई है यूपी पुलिस

गाजियाबाद और देहरादून संयुक्त रूप से इस मामले की जांच कर रही है. इसके बाद सच्चाई से पर्दा उठ सकेगा. राजू साहिबाबाद के जिस परिवार में रह रहा था, उसके मुखिया तुलाराम के भतीजे ने बताया कि गाजियाबाद पुलिस की टीम राजू को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई है. पुलिस जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके हिसाब से उनका परिवार कोई निर्णय लेगा. राजू अभी दो दिन ही उनके परिवार के साथ रहा है. परिवार का कहना है कि वो कई बार अजीब हरकतें किया करता था. दिन भर तो घर में ठीक से रहता, लेकिन शाम होते ही बाहर जाने की जिद्द करने लगता, जबकि परिवार मना करता था.

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अपहरण-रिहाई की सुनाईइमोशनल कहानी

राजू ने अपने अपहरण और रिहाई की बहुत इमोशनल कहानी सुनाई थी. उसने बताया था कि उसे जैसलमेर में रखा गया था, जहां उसे बकरी चरवाई जाती थी. रात में जंजीर बांध कर उसे रखा जाता. कोई ड्राइवर बकरी लेने जैसलमेर गया था. उसने उसके पैर में जंजीर देखकर वजह पूछी, तो उसने अपने अपहरण की कहानी बताई थी. इसके बाद ट्रक ड्राइवर बकरियों के साथ ही राजू को बैठाकर दिल्ली ले आया. राजू खोड़ा थाने पहुंचा. पुलिस ने 30 साल पहले के रिकॉर्ड निकलवाए, जिसमें तुलाराम के बेटे के गायब होने की बात सामने आई. पुलिस ने उनसे संपर्क करके उसे परिवार को सुपुर्द कर दिया. लेकिन अब कहानी में ट्विस्ट आ गया है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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